
इफिसियों 1. 16 – 23
मैं प्रार्थना करता हूँ कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, मुझे अपनी पहचान में, ज्ञान और प्रकाश का आत्मा दे। और मेरे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि मैं जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है। और उस की सामर्थ मेरी ओर जो विश्वास करते हैं, कितनी महान है, उस की शक्ति के प्रभाव के उस कार्य के अनुसार। जो उस ने मसीह के विषय में किया, कि उस को मरे हुओं में से जिलाकर स्वर्गीय स्यानोंमें अपनी दाहिनी ओर। सब प्रकार की प्रधानता, और अधिकार, और सामर्थ, और प्रभुता के, और हर एक नाम के ऊपर, जो न केवल इस लोक में, पर आने वाले लोक में भी लिया जाएगा, बैठाया। और सब कुछ उसके पांवों तले कर दिया: और उसे सब वस्तुओं पर शिरोमणि ठहराकर कलीसिया को दे दिया। यह उसकी देह है, और उसी की परिपूर्णता है, जो सब में सब कुछ पूर्ण करता है॥
इफिसियों 3. 14 – 21
मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं, जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है। कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार मुझे यह दान दे, कि मैं उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ। और विश्वास के द्वारा मसीह मेरे हृदय में बसे कि मैं प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है। और मसीह के उस प्रेम को जान सकूं जो ज्ञान से परे है, कि मैं परमेश्वर की सारी भरपूरी तक परिपूर्ण हो जाऊं॥ अब जो ऐसा सामर्थी है, कि हमारी बिनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है, उस सामर्थ के अनुसार जो हम में कार्य करता है, कलीसिया में, और मसीह यीशु में, उस की महिमा पीढ़ी से पीढ़ी तक युगानुयुग होती रहे। आमीन॥
कुलुस्सियों 1. 9 – 13
मैं प्रार्थना करता हूँ कि मैं सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाऊं। ताकि मेरा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और मुझ में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाऊं। और उस की महिमा की शक्ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ से बलवन्त होते जाऊं, यहां तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सकूं। और पिता का धन्यवाद करते रहो, जिस ने मुझे इस योग्य बनाया कि ज्योति में पवित्र लोगों के साथ मीरास में समभागी हों। उसी ने मुझे अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया।
फिलिप्पियों 1. 9 – 11
और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि (मैं और मेरा परिवार) हमारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए। यहां तक कि हम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहें; और ठोकर न खाएं। और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाए जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे॥
2 थिस्सलुनीकियों 1 .11- 12
इसी लिये मैं सदा प्रार्थना भी करता हूं, कि हमारा परमेश्वर हमें इस बुलाहट के योग्य समझे, और भलाई की हर एक इच्छा, और विश्वास के हर एक काम को सामर्थ सहित पूरा करे। कि हमारे परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह के अनुग्रह के अनुसार हमारे प्रभु यीशु का नाम हम में महिमा पाए, और हम उस में॥
इब्रानियों 13. 21
इसी लिये मैं सदा प्रार्थना भी करता हूं, कि हमारा परमेश्वर हमें हर एक भली बात में सिद्ध करे, जिस से हम उस की इच्छा पूरी करें, और जो कुछ उस को भाता है, उसे यीशु मसीह के द्वारा हम में उत्पन्न करे, जिस की बड़ाई युगानुयुग होती रहे। आमीन॥
आप मसीह में विजयी हैं!
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