
हम आखिरी दिनों के आखिरी दौर में हैं और हम दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को पतन होते हुए देख रहे हैं। लोग अपनी नौकरी, व्यवसाय और अपनी आजीविका खो रहे हैं। कई निराश, हताश और उदास हैं। कुछ इस आर्थिक उथल-पुथल से इतने अभिभूत हैं कि उन्होंने आत्महत्या कर ली है।
याद रखें,
उठ, प्रकाशमान हो; क्योंकि तेरा प्रकाश आ गया है, और यहोवा का तेज तेरे ऊपर उदय हुआ है। देख, पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है; परन्तु तेरे ऊपर यहोवा उदय होगा, और उसका तेज तुझ पर प्रगट होगा। यशायाह 60:1-2
चाहे दुनिया में कुछ भी हो रहा हो, हमें आशा है और हमारी आशा परमेश्वर के वचन में है। यदि आप परमेश्वर के वचन में जड़ जमाए हुए हैं, तो आप कभी निराश नहीं हो सकते। संसार में होते हुए भी आप संसार के नहीं हो। इसका मतलब है, आपका जीवन दुनिया से अलग होना चाहिए । आप परमेश्वर के बच्चे हो।
‘उसी ने हमें अन्धकार के वश से छुड़ाकर अपने प्रिय पुत्र के राज्य में प्रवेश कराया,’ कुलुस्सियों 1:13
अब आप शैतान के अधिकार और प्रभाव में नहीं रहते। आपको यीशु मसीह के राज्य में स्थानान्तरित कर दिया गया है जहाँ यीशु राजाओं का राजा है।
पर हमारा स्वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की बाट जोह रहे हैं। फिलिप्पियों 3:20
आप यीशु के राज्य में पैदा हुए हैं और आप राज्य के नागरिक हैं। आप पृथ्वी पर चाहे कहीं भी रहते हों, आप वहाँ रहते हुवे राज्य के नागरिक हैं।
“यीशु ने उसको उत्तर दिया, “मैं तुझ से सच सच कहता हूँ, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता।” यूहन्ना 3:3
नए जन्म शब्द का अर्थ है ऊपर से जन्मा हुआ। आप परमेश्वर से पैदा हुए हैं। क्या आप जानते हैं कि आप ऊपर से आए हैं? हाँ! आप दूसरी जगह से हो जिसे स्वर्ग कहा जाता है। आप यहां एक कार्य के लिए हैं।
“जो ऊपर से आता है वह सर्वोत्तम है; जो पृथ्वी से आता है वह पृथ्वी का है, और पृथ्वी की ही बातें कहता है : जो स्वर्ग से आता है, वह सब के ऊपर है। यूहन्ना 3:31
हमेशा सचेत रहें। भले ही मैं भारत में हूं, मैं यीशु के राज्य से हूं और मुझे एक विशिष्ट कार्य के लिए भारत भेजा गया है।
“यीशु ने फिर उनसे कहा, “तुम्हें शान्ति मिले; जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूँ।” यूहन्ना 20:21
आपको भेजा गया है! क्योंकि यीशु ने आपको भेजा है, यीशु आपकी देखभाल करेगा। आपका कार्य राज्य के सिद्धांतों का पालन करके अपने प्रभाव के दायरे में राज्य का विस्तार करना है। ऐसा करने से सारी चीजें आप में जुड़ जाएंगी। एक विश्वासी कभी भी बिना काम के नहीं हो सकता, उसका काम राज्य का विस्तार करना है।
“इसलिये पहले तुम परमेश्वर के राज्य और उसके धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी। मत्ती 6:33
आप वित्तीय अकाल के बीच में ही समृद्ध हो सकते हैं क्योंकि आपकी समृद्धि आपके देश की सरकार या अर्थव्यवस्था पर आधारित नहीं है। आपकी समृद्धि स्वर्ग की अर्थव्यवस्था पर आधारित है – आपका प्रयोजन और आपूर्ति स्वर्ग से आती है। इसका मतलब है कि आप समृद्ध हो सकते हैं चाहे आपके पृथ्वी पर के देश की अर्थव्यवस्था कितनी भी बीमार क्यों न हो।
पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ, कुलुस्सियों 3:2
अपनी आँखों को पृथ्वी पर के देश की अर्थव्यवस्था और सरकार से हटाइये और अपनी आँखें स्वर्ग की ओर लगाइये। अकाल के बीच बहुतायत। कमी के बीच में बढ़ोतरी। अभाव के बीच बहुत कुछ। मुझे वचन से तीन उदाहरण साझा करने दें – गंभीर अकाल के बीच प्रचुरता के उदाहरण।
1. मत्ती 14:13-21
यीशु और उसके चेले पाँच हज़ार पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों के साथ एक सुनसान जगह में थे। उनके पास केवल पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ थीं। जब स्वर्गीय आर्थिक प्रणाली सक्रिय हुई, उनमें से हर एक ने तब तक खाया जब तक वे संतुष्ट न हो गए और बारह टोकरियां बच भी गए।
2. उत्पत्ति 26:1-16
देश में अकाल पड़ा। परन्तु यहोवा ने इसहाक को अकाल वाले देश में रहने को कहा। इसहाक ने आज्ञा मानी और भूमि में बीज बोने लगा और उसी वर्ष सौ गुणा फल पाया। वह अकाल के बीच में महान और बहुत महान हो गया। इस पर विचार करें, भुखमरी के बीच बहुतायत । हाल्लेलुयाह !
3. 1 राजा 17:8-16
बहुत दिनों से वर्षा न होने के कारण उस देश में अकाल पड़ा। एक विधवा और उसका पुत्र अपने जीवन का अन्तिम भोजन करने ही वाले थे कि परमेश्वर का जन एलिय्याह परमेश्वर का वचन लेकर उनके पास आया। उसने वही किया जो एलिय्याह ने उसे करने को कहा था और उसने यहोवा के आदेश के अनुसार परमेश्वर के जन को अंतिम भोजन दिया। उसके आज्ञाकारिता के कार्य से, उसके घड़े का आटा और उसके कुप्पी का तेल अलौकिक रूप से कई गुना बढ़ गया और वे कई दिनों तक खाते रहे। हाल्लेलुय्याह !
सभी तीनों घटनाएँ हमारे पिता परमेश्वर की महानता की गवाही देती हैं। अकाल, कमी और अभाव के बीच में भी प्रभु आपके लिए प्रयोजन करने में, आपको समृद्ध करने में अच्छी तरह से सक्षम है। मुझे कुछ कुंजियाँ साझा करने दें जो स्वर्गीय आर्थिक प्रणाली को सक्रिय करेंगी ताकि आप भी दुनिया के आर्थिक अकाल के बीच में परमेश्वर की प्रचुरता (बहुतायत) का अनुभव कर सकें।
1. परमेश्वर आपका स्रोत है।
मानव और मानव निर्मित संस्थाएं आपके स्रोत नहीं हैं। सारी सृष्टि में कुछ भी आपका स्रोत नहीं है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर आपका एक और एकमात्र स्रोत है। मनुष्य, मानव निर्मित संस्थाएँ और परमेश्वर की सभी रचनाएँ केवल साधन या माध्यम हैं, हालाँकि परमेश्वर आपकी आवश्यकताओं, चाहतों और इच्छाओं को पूरा करता है। प्रभु के पास आपकी जरूरतों को पूरा करने के लाखों तरीके हैं और आप केवल तीन के बारे में नहीं सोच सकते। वह चट्टान से पानी निकाल सकता है। वह कर(टैक्स) चुकाने के लिए मछली का उपयोग कर सकता है। वह बटेर लाने के लिए हवाओं का उपयोग कर सकता है। वह अपने दास को खिलाने के लिए कौवों का उपयोग कर सकता है। वह थोड़े को बहुगुणित कर सकता है और बहुत ज्यादा बना सकता है। साधनों और माध्यमों से परे देखें। स्रोत की ओर देखें, अपने एकमात्र स्रोत, यीशु मसीह की ओर ।
2. परमेश्वर से प्राप्त करने का एकमात्र तरीका है – विश्वास के द्वारा।
आप जानते हैं, यीशु अपने लोगों को चंगाई देने के लिए अपने गाँव गया था परन्तु वह उन्हें चंगा नहीं कर सका क्योंकि उन्होंने उस पर विश्वास नहीं किया। विश्वास ही एकमात्र तरीका है जिससे आप यीशु से प्राप्त कर सकते हैं। और कोई रास्ता नहीं है। इसका मतलब है कि आपको खुद को पूरी तरह से उन्हें दे देना है, खुद को समर्पित कर देना है और खुद को पूरी तरह से उनके हवाले कर देना है। अपने प्राप्त करने पर काम करें। परमेश्वर का वचन विश्वास का भोजन है। वचन पर काम करें। विश्वास वचन सुनने से आता है। अपनी सुनने पर काम करें। वचन बोलने से विश्वास प्रभावी रूप से काम करता है। अपने बोलने पर काम करें। जैसा कि आप करते हैं, आपका विश्वास उठेगा और आप आसानी से अपने राजा से प्राप्त करेंगे।
3. अपने देने (भेंट) पर दबाव डालें।
देना यीशु में आपके विश्वास और उसके प्रति आपके प्रेम की अभिव्यक्ति है। जब आप अकाल में होते हैं, तो यह आपके देने से पीछे हटने का समय नहीं होता है। यह आपके देने पर दबाव डालने का समय है। तीनों घटनाओं में, हम देखते हैं कि देना शामिल था। विधवा ने परमेश्वर के जन को अपना भोजन दिया। उस जवान लड़के ने यीशु को पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ दी। इसहाक ने अकाल के देश में अपना बीज बोया। अपने दशमांश पर दबाव डालें। अपने बोने और काटने पर दबाव डालें। अपने देने पर दबाव डालें। दबाव डालने का अर्थ है कि बढ़कर और अधिकाई से दें।
4. अपने धन्यवाद देने पर दबाव डालें।
अकाल में, बहुत से नाले भले ही सूख गए हों, लेकिन यीशु कभी नहीं सूखे। वह आपका स्रोत है और उसके पास आपको आशीष देने के लाखों तरीके और माध्यम हैं। शिकायत करने से इंकार करें। आरोप और दोष लगाने से इंकार करें। कुड़कुड़ाने से इंकार करें । आभारी होने का चुनाव करें । पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ पाँच हज़ार लोगों को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, लेकिन यीशु ने इसे लिया और अपने पिता को प्रयोजन करने के लिए धन्यवाद दिया। अलौकिक गुणन हुआ और सभी ने खाया और बारह टोकरियाँ और बचीं। कृतज्ञता(आभारपन) स्वर्ग का ध्यान आकर्षित करती है।
जैसे ही आप इन कुंजियों को लागू करते हैं, आप अपने आप को अपने प्रभु यीशु मसीह से प्राप्त करने के लिए तैयार कर लेंगे। जब दुनिया संघर्ष कर रही है, तो आप संपन्न होंगे और आप बहुत से लोगों तक पहुंचने और उन्हें आशीष देने और उन्हें यीशु के पास ले जाने में सक्षम होंगे। आप परमेश्वर के प्रकाश और महिमा से चमकेंगे।
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